अगर हम उन वर्षों में पीछे मुड़कर देखेंजब हम छोटे थे और अपने हर डर से लड़ते रहेसात साल, आघात से भरीसपने देखते देखते आँखें खुलीकिसने सोचा होगा मेरी यौवन ऐसी होगी/ऐसा होगा ?
तुम तब थे जब जवाब अस्पष्ट थीतुम मेरे सामने थे, मुझे पता नहीं चला कब इतने पास आयेइन इशारो से अब भी मैं व्याकुल हूँ -क्या जीवन रेगिस्तान है या सिंधुलेकिन तुमने एक बार भी मेरा साथ नहीं छोड़ाउन समय जब में खुद से ही डरती थी/डरता था ....
क्योंकि तुम्ही वो सात वज़ह हो जो मैं ठहरी/ठहराअच्छे-बुरे दिन में भी तुम्हारे साथ चलती रही/ चलता रहातुम्हारे कारण में खुद को प्यार करने सीखी/सीखाऔर जीवन के हर पल को विश्वास कियाअगर कोई पूछे क्यों मैं सपने देखती रहती हूँ/देखता रहता हूँमेरी/मेरा सात,मेरी/मेरा कारण, मेरी/मेरा भरोसा
बहुत समय पहले, जब में अपने दुःख को अपने अंदर रखता था /रखती थीहवा में चिल्लाया "हाँ, इस जीवन में मैं कभी नहीं जीतता"फिर तुम आये,मेरी टूटी दिल को ठीक की/ मेरे टूटे दिल को ठीक कियामुझे एक नई शुरुआत दी/ दियातुमने कभी मेरा/मेरी साथ नहीं छोड़ा/छोड़ीहर गीत और हर शब्द के साथ तुम गाते रहे
क्योंकि तुम्ही वो सात वज़ह हो जो मैं ठहरी/ठहराअच्छे-बुरे दिन में भी तुम्हारे साथ चलती रही/ चलता रहातुम्हारे कारण में खुद को प्यार करने सीखी/सीखाऔर जीवन के हर पल को विश्वास कियाअगर कोई पूछे क्यों मैं सपने देखती रहती हूँ/देखता रहता हूँमेरे सात, मेरे वज़ह
लोग मुझे पूछते रहेंगे, क्यों मैं इस पथ पर चल रहा/रही हूँमैं इसे क्यों नहीं रोकता/रोकतीलेकिन मैं इसे नहीं रोकूंगा/रोकूंगीक्यों की हर ग्रीष्म,वसंत और सर्दी, या पतझड़ के बादकेवल सात वज़ह हैं क्यों मैं ये सब करती हूँ/ करता हूँ
क्योंकि तुम्ही वो सात वज़ह हो जो मैं ठहरी/ठहरातुम्हारे संग हंसे और रोए, उन दिनों को याद रखनातुम्हारे कारण मैं खुद को पा लियाउन उतार चढ़ाव के बीच तुमने मुझे अकेला नहीं छोड़ा
और तुम्ही वो सात वज़ह हो जो मैं ठहरीतुम्हारे साथ चले वे सुख दुख के दिनतुम्हारे कारण में खुद को प्यार करने सीखी/सीखाऔर जीवन के हर पल को विश्वास किया
इसलिए जब वे मुझसे पूछते हैं मैं क्यों सपने देखती हूँऔर ये पूछते हैं मैं क्यों अब भी विश्वास करती हूँऔर जब तुम मुझसे ये पूछोगे मैं यहाँ अब भी क्यों हूँ
मेरे सात, मेरे वज़ह
सिर्फ वज़ह